कम बोलने के फायदे(Benefits for Speaking Less)
कम बोलने के फायदे
(Benefits for Speaking Less)
हम पूरे दिन बिना थके बातें करते रहते हैं। घर में, घर के बाहर, दोस्तोंसे, रिश्तेदारोंसे, परिचितोंसे, ऑफिस में तथा अपने सहकर्मियों के साथ, ट्रेन में ग्रुप बनाकर, सब्जीवाले के साथ या किसी अन्य विक्रेता से—जहाँ भी मौका मिले, हम अपनी बातें बढाने में लगे रहते हैं। ऐसा लगता है मानो यह हमारा जन्मसिद्ध अधिकार हो और वह हम इस्तिमाल कर रहें हो । लेकिन यही आसान सी, बिना एक पैसा खर्च किए खुशी देनेवाली हमारी यह आदत कई बार हमारे लिए बेहद नुकसानदायी भी साबित हो जाती है।
अगर हम जरूरत से ज्यादा बोलते हैं, तो हमारे परिचित, हमारी इन बातूनी हरकतोंसे से ऊब जातें हैं। इसका असर हमारे सामाजिक संबंधों पर पड़ सकता है और हमारी यह आदत हमें अपने करीबी रिश्तोंसे से तोड़ सकती है। आइए, जानते हैं कि ज्यादा बोलने से हमारे कौन कौनसे नुकसान हो सकते हैं।
सामाजिक तथा नजदिकी रिश्तों पर प्रभाव:
१) रिश्तों में दरार:
अगर कोई व्यक्ति बहुत अधिक बोलता है, तो दूसरे लोगों के मन में यह भावना आ सकती है कि "यह मेरी कोई बात नहीं सुनता, बस अपनी ही बातें सुनाता रहता है।" हमारी इन आदतोंसे रिश्तों में खिंचाव बन सकता है और फिर ऐसे व्यक्ति को समाज धीरे धीरे नज़र अंदाज करना शुरू हो जाता है।
२) सामाजिक दूरियॉं :
अगर कोई व्यक्ति बातचीत में सिर्फ खुद को ही प्राथमिकता देता हो और दूसरों को बोलने का कोई मौका कोई नहीं देता, तो लोग उससे बातचीत करने से, अपनी परेशानियॉं कहने से, कतराने लगते हैं। धीरे-धीरे वह व्यक्ति समाज से कटने लगता है।
३) प्रभाव कम होना:
जो व्यक्ति हर समय बोलता रहता है, उसे लोग गंभीरता से लेना बंद कर देते हैं। जब हमें जरूरत होती है कि लोग मेरी बात ध्यान से सुनें, तब वे हमारी बातों को हल्के में लेने लगते हैं। और हमें कोई महत्त्व देना वें जरूरी नहीं समझते |
४) नकारात्मक छवि:
अगर कोई व्यक्ति सिर्फ खुद के बारे में बातें करता रहता है और दूसरों को कुछ कहने का कोईभी मौका नहीं देता, तो लोग उसे अहंकारी और असंवेदनशील समझने लगते हैं। धीरे-धीरे उसकी छवि समाज में नकारात्मक बन सकती है। और धीरे धीरे उसकी अच्छी छबी धुमिलसी होनें लग जाती रहती हैं।
५) संवाद में कठिनाई:
बहुत अधिक बोलने वाले लोग दूसरों की बातोंको सही ढंगसे से सुन नहीं पाते, जिससे वे दूसरों की भावनाओं को भी ठिक ढंगसे समझ नहीं सकते और परस्पर संवाद करने में कठिनाई उत्पन्न होती जाती है।
६) सुनने की क्षमता में कमी:
अत्यधिक बोलने की इस आदत से सुनने की क्षमता भी धीरे धीरे कमजोर हो जाती है। इससे कई बार रिश्तों में गहराई नहीं बन पाती और महत्वपूर्ण बातें भी नजर अंदाज हो सकती हैं।
७) अवसरों का नुकसान:
अगर आप सिर्फ अपनी ही बातें करते रहेंगे, तो आप दूसरों से कुछ नया सीखने और महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करने के अवसर खो सकते हैं। तथा अपनी काबिलीयत समाज में नहीं दिखा सकते। और धीरे इन्सान अकेलेपन का शिकार हो जाता हैं ।
८) गलतफहमियां बढ़ना:
ज्यादा बोलने की वजह से सामने वाला व्यक्ति आपकी बातों का गलत अर्थ निकाल सकता है। इससे रिश्तों में गलतफहमियां ज्यादा मात्रामें बढ़ सकती हैं।
समस्या का समाधान:
१) ध्यान से सुनने की आदत डालें:
दूसरों की बातें ध्यान से सुनें, उनके विचारों को समझें और सोच-समझकर जवाब दें।
२) सामाजिक संकेतों को पहचानें:
इस बात को गंभीरतासे समझें कि बातचीत में सभी को बराबर मौका मिलना चाहिए। हर कोई यहॉं, कुछ कहने और अपनी राय देने का हक रख सकता हैं ।
३) समय की सीमा तॅंय करें:
अपनी बातचीत को सीमित रखें, हर चीज की एक सीमारेखा होती हैं। तांकि दूसरों को भी बोलने का, अपना मत प्रकट करने का नित्य अवसर मिल सकें।
४) फीडबैक लें:
संभाषण में प्रतिक्रिया अक्सर जरूरी भुमिका निभाती हैं। अपने नजदिकी लोगों से पूछें कि क्या आप जरूरत से ज्यादा बोलते हैं और उनकी सलाह मानने का प्रयास करें। यह सलाह हमेशा एक फायदे का रूप लेगी ।
५) जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ की मदद लें:
अगर ज्यादा बोलने की आदत से आपके रिश्ते या सामाजिक जीवन में समस्या लगातार आ रही है, तो किसी काउंसिलर या विशेषज्ञ से सलाह लेंना आवश्यक होगा । हमें गलती सुधारने के लिए खुदसे ही पुरी तैयारी करनी पडेगी ।
६) दूसरों की भावनाओं को समझें:
जब कोई उसकी समस्या हमारे साथ सॉंझा कर रहा हो, तो उसे धैर्यपूर्वक सुनें और सहानुभूति दिखाएं। उस वक्त उस व्यक्ति को उसका मन सुननेवाले एक मित्र की आवश्यकता होती हैं, ना की सिर्फ सलाहगार की ।
निष्कर्ष:
बोलना भी एक महत्वपूर्ण कला है, लेकिन इसे संतुलित रखना भी अत्यंत आवश्यक हैं। जरूरत से ज्यादा बोलने से न सिर्फ हमारे रिश्ते प्रभावित होते हैं, बल्कि हमारे प्रभाव और छवि पर भी असर पड़ता है। इसलिए, सोच-समझकर बोलना और दूसरों को भी बोलने का मौका देना अत्यंत आवश्यक है।
"मौनम् सर्वार्थ साधनम्" अर्थात मौन कई समस्याओं का खुद ही एक समाधान है
ढेर सारी शुभकामनाएं!
गुगल का शुक्रिया.
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